आपके तलाक/घरेलू हिंसा/रखरखाव/डीपी३/४९८अ (498a) युद्ध में ज़रूरी कानूनी पैंतरे

Essential Parts of your Legal Strategy in Matrimonial Litigation
१) महिला थाने / परिवार परामर्श केंद्र में जब भी जावें तब शिकायतकर्ता के साथ साथ परिसर में न घुसें। हमेशा उस से पांच मिनट आगे पीछे प्रवेश करें। बहार निकलते वक़्त भी इसी प्रकार से सावधानी बरतें। यदि आप को किसी और शहर के महिला थाने अथवा महिला प्रकोष्ठ जाना हो तो किसी मित्र को अपने साथ ले जावें। हमेशा महिला प्रकोष्ठ जाते समय अपना मोबाइल टेलीफोन अपने साथ ले जाएँ और उस को चालू रखें। ज़रुरत की दवाइयाँ अपने साथ ले जाएँ और कोई कीमती वास्तु साथ न रखें। यहाँ तक कि टेलीफोन भी सस्ता ही रखें। निडर होकर बात करें और चीखने चिल्लाने अथवा लड़ने का प्रयास न करें।

अपनी पत्नी को अपने ऊपर हमला न करने दें। यदि आप किसी ऐसी जगह जा रहे हैं जहाँ आप अपनी ४९८अ (498a) पत्नी से दो चार होंगे तो कोशिश रहे कि माता अथवा बहन को साथ ले जाएं। लेकिन यदि किसी कारणवश आपकी माँ या बहन आप के साथ नहीं होती है तो इस का यह मतलब नहीं होता कि आप की पत्नी को आप पर आक्रमण करने की छूट मिल जाती है। यदि वह ऐसी कोई मूर्खता करे तो तुरंत शोर मचा के भीड़ इक्कट्ठा कर लें।

२) अदालत में अपने किसी गुप्त शत्रु को अपनी ओर से गवाह बनाने की गलती न करें। सभी तारीखों पे जाने की कोशिश करें। अपनी कानूनी लड़ाई के दौरान जिन भी लोगों से मिलना पड़े उन्हें सिर्फ उतनी ही जानकारी दें जितनी ज़रूरी हो, उस से अधिक हरगिज़ न दें। अपने माता पिता को वकीलों अदालतों इत्यादि की ओर भाग दौड़ करने से बचाएं। ये सारे काम खुद ही करें।

३) यदि आप की पत्नी ने आप के विरुद्ध गंभीर किस्म के बेबुनियाद आरोप लगाये हैं तो आप भी उस पर गंभीर और बेबुनियाद आरोप लगावें। यदि उस ने आप के २ रिश्तेदारों को कानूनी कीचड में घसीटा है तो आप यह कीचड उठा कर उस के ८ रिश्तेदारों पर फ़ेंक मारें। वे उस पर और उस के माँ बाप पर झगड़ा ख़त्म करने हेतु दबाव डालेंगे। कड़वी भावनाओं का ऐसा तूफ़ान खड़ा कर दें कि आप की दुश्मन भार्या हतोत्साहित होने लग जावे।

४) यदि आप के लगता है कि आप का केस कमज़ोर है तो अपने वकील को मामले को लम्बा घसीटने की हिदायत दें। यदि वह ऐसा करेगा तो सामने वाला पक्ष हतोत्साहित होने लग पड़ेगा। ये भी यह रहे कि ऐसी स्थिति में अपनी पत्नी को उस के द्वारा वांछित आधार पर तलाक न देवें। तलाक हमेशा अपनी शर्तों पर देवें या फिर अपने द्वारा वांछित आधार पर लेवें। झगड़ालू महिला को अपनी खून पसीने की कमाई और दुसरे पुरुष से विवाह करने की आज़ादी के लिए लड़ने पर मजबूर करें। उस से उसी की भाषा में बात करें। याद रहे कि हमारे देश के हुक्मरान वकीलों ने अनगिनत कानूनों का जंजाल सिर्फ इसलिए बनाया है कि इन के फलस्वरूप बड़े पैमाने पर जो मुकदमेबाजी होती है उस से उन के अपने निकटजनों को लाभ होता रहे। यहाँ यह बताने की कोई आवशयकता नहीं है कि उन के निकटजन किस व्यवसाय में लगे हुए हैं। इन महान पुरुषों और स्त्रियों को इन के द्वारा वांछित परिणाम देवें। मुकदमेबाज़ी, मुकदमेबाज़ी, और सिर्फ मुकदमेबाज़ी करें।

अपनी लड़ाई लड़ने के लिए सूचना अधिकार आवेदनों एवं पत्राचार का प्रयोग करें, लेकिन हद से ज़्यादा नहीं।

६) मुश्किलों को रिश्वत के रास्ते से हल करने की कोशिश न करें। सारा काम कानूनी तरीके से करें।

७) विवाह विच्छेद याचिका केवल परपुरुषगमन अथवा क्रूरता अथवा लैंगिक रोग के आधार पर ही प्रेषित करें। या फिर धोखाधड़ी के आधार पर विवाह विलोपन (रदद्गी) के लिए प्रयास करें। लम्बी मुकदमेबाजी के बाद वह स्वयं ही आपसी रज़ामंदी से फैसला करने हेतु आप से बात करेगी। जानने योग्य है कि नागर न्यायालय के निष्कर्षों को फौजदारी अदालत के निष्कर्षों पर तरजीह (अग्रता) दी जाती है। अतः यदि आप विवाह विच्छेद प्रकरण में यह स्थापित कर दें कि आप की पत्नी ने आप के साथ क्रूरता से बर्ताव किया है तो आप का पक्ष आपराधिक प्रकरण में अपने आप मज़बूत हो जाता है और आपकी पत्नी का ४९८अ (498a) सम्बंधित मुकदमा जीतना असंभव बन जाता है।


८) कुछ इसी तरह यदि आप परस्पर सहमति विवाह विच्छेद का आवेदन प्रेषित करते हैं तो आप को अपना विवाह विलुप्त करने से पहले यह ज़रूर लिखना पड़ेगा कि आप दोनों के बीच कोई मतभेद शेष नहीं है। ऐसा करते ही आप को भविष्य में उस महिला और उस के परिवार की ओर से अपने या अपने परिवार के खिलाफ हो सकने वाले किसी भी किस्म की मुकदमेबाज़ी की आशंका के विरुद्ध दोषहीन गारंटी मिल जाती है।

९) कभी भी तफ्तीश अफसर या जन अभियोक्ता से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क स्थापित करने की कोशिश न करें।

१०) कभी भी अपनी पत्नी से यह मांग न करें कि वह अपना आक्षेप वापस ले ले। इस नियम का उल्लंघन केवल सुलह अथवा मध्यस्थता प्रक्रिया के चालू होने के दौरान किया जा सकता है।

११) अपनी पत्नी और उस के माता पिता को अपने माता पिता के घर में घुसने से रोके के लिए स्थाई निषेधाज्ञा हेतु याचिका प्रेषित करें। अपने आप को और अधिक सुरक्षित करने हेतु और उस के रिश्तेदारों का उपहास करने हेतु उस के ख़ास रिश्तेदारों के नाम भी अपनी याचिका में सम्मिलित करें।

१२) किसी भी हाल में अपने माता पिता को अखबार में दिए गए नोटिस के ज़रिये आप को संपत्ति से बेदखल न करने दें। अनेक अधिवक्ता ऐसी तरकीब से आप को को अपनी पत्नी को आप के माता पिता के घर में घुसने से रोकने की कोशिश करने की सलाह देते हैं। ऐसा आमतौर से पुत्र और पुत्रवधू को एक ही इकाई मान के चलने वाले प्रारूप में किया जाता है। यह खतरनाक और मूर्खता पूर्ण कदम है जिस से पहले बनायीं गयी साड़ी वसीयतें रद्द हो जाती हैं। इतना ही नहीं, यदि आप के माता पिता को ऐसा करने के बाद कुछ हो जाता है तो आप बेघर हो जाएंगे। ऐसा न करें, बल्कि इस के ठीक विपरीत वकीलों के साथ का फायदा उठाते हुए अपने माता पिता के हाथों कायदे से तैयार की गयी वसीयत इस वक़्त में बनवाना ही बुद्धिमानी होगी। याद रहे कि कानूनी प्राधिकरण के समक्ष परस्पर विरोधी चित्रण प्रेषित करना खतरे से खाली नहीं है। आखिर आप न तो सिने अभिनेता हैं और न ही नेता हैं।

१३) अपना निवास स्थान कतई न बदलें, सिवाय ऐसी स्थिति के जिस में कि आप का वकील आप को अकाट्य तर्क दे कर यह मनवा लेता है कि ऐसा करने से आप को कोई बहुत पक्का कानूनी लाभ होने वाला है। आप का घर आप का क़िला है, और आप को किसी भी व्यक्ति को आप को घर छोड़ने पे मजबूर करने की स्थिति में नहीं आने देना चाहिए।

१४) जवाबी मुकद्दमे / मुआमले दायर करें। इसका असर तीन तरफ से होगा।

पहली बात यह होगी कि श्रीमती ४९८अ (498a) समझ जाएगी कि आप अपने दुश्मन को लड़े बगैर जीतने नहीं देंगे।

दूसरा असर यह होगा कि उस को भी अपनी कानूनी हिफाज़त करने के लिए वकील रखना पड़ेगा। वकील मुफ्त में काम नहीं करेगा, वह किसी भी कार्य के लिए पैसे लेगा। तीसरी और सब से अच्छी बात यह होगी कि अब उस के और उस के माता पिता के दिलो दिमाग में अपने विरुद्ध डाले गए मुकद्दमों की बदौलत हर वक़्त परेशानी बानी रहेगी। बहुत जल्दी वह समझने लग जाएगी कि मुफ्त का माल मिलने की उसकी शुरूआती अपेक्षा गलत थी और उस के ठीक उल्टा अब उसे अपनी जेब से पैसे (जिनकी भरपाई की कोई गारंटी नहीं है) खर्च करने पड़ रहे हैं, और साथ ही साथ कानूनी प्रताड़ना और दिमागी परेशानी भुगतनी पड़ रही है। जब उसे और उस के परिवार को दिखेगा कि यहाँ तो लेने के देने पड़ गए तब उसके मन में शांति और सद्भाव का ज्ञान उदय होने लगेगा और वह झगड़े को ख़त्म करने के बारे में सोचने लगेगी, आपसी सहमति से विवाह विच्छेद करने के अपेक्षाकृत आसान रास्ते के बारे में सोचने लगेगी।

१५) याद रखें कि चोरों को चालाकी से ही पकड़ा जा सकता है।

गत लेख के अलावा आप वकीलों से अपने ४९८अ (498a) / घरेलू हिंसा / विवाह विच्छेद युद्ध के दौरान कैसे निपटें, या फिर वैवाहिक अधिकार भरपाई याचिका से बचें, या फिर प्रवासी भारतियों हेतु ४९८अ (498a) प्रश्नावली विषयों पर लिखे गए लेख पढ़ सकते हैं।


द्वारा लिखित
मनीष उदार द्वारा प्रकाशित।

पृष्ठ पर बनाया गया
अंतिम अद्यतन १७ मई २०१५ को किया गया
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