४९८अ आक्षेप लगाने वाली पत्नियां: प्रारूपिक शिकायतकर्ता पत्नी

Typical Wives who make 498a Complaints
अनेकों पत्नियां ४९८ा आक्षेप दाखिल करती हैं। अनेकों प्रकार की पत्नियां हैं जो अपने पतियों के विरुद्ध महिलाओं एवं बालकों हेतु स्थापित विशेष पुलिस इकाई में अथवा महिला प्रकोष्ठ में आक्षेप लगाती हैं। इन में से कुछ प्रकार की पत्नियों का वर्णन निम्नलिखित है।

पहले प्रकार की पत्नी जो ४९८अ आरोप लगाती है वो वास्तविक पीड़िता पत्नी है। इस प्रकार की पत्नी को हम पहला स्थान इसलिए दे सकते हैं क्यूंकि वह वाकई सहानुभूति की पात्र है, इसलिए नहीं कि ऐसी शिकायतकर्ता पत्नियां मात्रा में सब से अधिक हैं। ऐसी महिलाएं महिला अपराध प्रकोष्ठ में इन्साफ़ की गुहार ले कर आतीं हैं, और यदि वे अदालत में अपना प्रकरण सत्य स्थापित कर पाती हैं तो वे अपने पतियों और / अथवा ससुरालियों का दंडादेश प्राप्त कर सकती हैं। इस धारा के अंतर्गत अपने आप को पीड़िता स्थापित करने हेतु पत्नी को भूतकाल में दहेज़ से सम्बंधित उत्पीड़न का शिकार या बारीकी से परिभाषित अन्य किस्म के उत्पीड़न का शिकार हुआ रहना ज़रूरी होता है। ईश्वर उसे कामयाबी दे।

दुसरे प्रकार की पत्नी जो ४९८अ आक्षेप लगाती है वह आत्मकामी पत्नी होती है, स्वार्थी पत्नी होती है। उसे सिर्फ अपनी भावनाओं की फ़िक्र होती है, और अपने पति और ससुरालियों की भावनाओं को वह बिलकुल कोई भी मान्यता नहीं देती, और केवल उन्हें जेल भिजवाना चाहती है। वे आरोप जो यह महिला लगाती है, वे आक्षेप जो यह दाखिल करती है, वे झूठे और बकवास होते हैं। यह भी सम्भावना है कि यह पत्नी अपने झूठे आरोपों को वास्तव में सत्य मानती है. क्योंकि आत्मकामी व्यक्तित्व विकार के मरीज़ (अगला अनुच्छेद देखें) अक़्सर सत्य की अपनी संरचना पर पूरा विश्वास और श्रद्धा रखती हैं। पैसे का लालच इतना बलवान होता है कि पति द्वारा सही बोली लगाए जाने पर यह अपने गुस्से को भूल जाती है और देखा जाये तो दरअसल अंततोगत्वा उसका ध्येय उस व्यक्ति से पैसे लूटना होता है जिस के साथ उसने कभी जन्म जन्म का साथ निभाने की सौगंध विवाह के समय ली होती है। यहाँ तक कि अपने केस को झूठे रूप से मज़बूत बनाने हेतु वह अपने आप को कृत्रिम चोटें भी लगा सकती है।

उस के माता-पिता भी उस के ही जितने आत्मकामी (स्वार्थी) हो सकते हैं, और वे भी अपने दामाद से पैसों की उगाही करना चाह सकते हैं। यह वह दामाद है जिस को फेरों के दौरान उन्होंने स्वयं विष्णु जी का अवतार घोषित किया होता है, और अपना सब से करीबी रिश्तेदार घोषित किया होता है। उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता यदि विष्णु के उस अवतार को पुलिस द्वारा उत्पीड़न सहना पड़े, और पुलिस, वकीलों, अदालतों, और अपनी पत्नी के हाथों तंग होना पड़े। यह ही वह कानूनी उत्पीड़न है जिसे वैधानिक आतंकवाद की संज्ञा दी गयी थी। यह पूर्णतया संभव है कि दुल्हन का पूरा परिवार आत्मकामी व्यक्तित्व विकार से ग्रस्त हो।

ऐसा कई बार देखा गया है कि ऐसे लोगों पर सीमा रेखावर्ती व्यक्तित्व विकार से ग्रस्त होने का आक्षेप लगाया जाता है। लेकिन यह कतई सच नहीं है। सीमारेखावर्ती व्यक्तित्व विकार के मरीज़ अत्यंत भावुक और भावनात्मक स्तर पर अत्यधिक अभावग्रस्त होते हैं। वे शिकार होते हैं, आत्मकामी व्यक्तित्व विकार के मरीज़ों की तरह निर्दयी, कठोर, और शिकारी नहीं होते हैं। मामला काफ़ी भ्रामक होता है, क्योंकि एक ही व्यक्ति दोनों विकारों का एक ही साथ मरीज़ हो सकता है। इन दोनों व्यक्तित्व विकारों में बहुत ज़्यादा समोत्पन्नता है, अर्थात वे प्रायः एक ही व्यक्ति को ग्रसित करते हुए पाए जाते हैं। परन्तु कुछ लोगों में सीमारेखावर्ती अवगुण दबे हुए होते हैं और आत्मकामी अवगुण विकराल होते हैं, और कुछ लोगों में स्थिति इस के विपरीत होती है।

एक और प्रकार का मरीज़ ऐसा होता है जिस में समय प्रवाह के साथ बारी बारी से आत्मकामी और सीमारेखावर्ती व्यक्तित्व विकारों के लक्षण उभर के आते हैं। ऐसे व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में प्रायः आत्महत्या का प्रयास भी किया होता है और अपने किसी प्रेमी को आत्महत्या का प्रयास करने पर मजबूर भी किया होता है। दोनों स्थितियों में फ़र्क यह होता है कि वह मरीज़ अपने से भावनात्मक रूप से मज़बूत व्यक्ति के साथ प्रेम सम्बन्ध में रहा हो या अपने से भावनात्मक रूप से कमज़ोर व्यक्ति के साथ प्रेम सम्बन्ध में।

उस प्रकार का व्यक्ति जिसे आम लोग हाई फंक्शनिंग सीमारेखावर्ती व्यक्तित्व विकार मरीज़ कहते हैं, वो वास्तव में आत्मकामी व्यक्तित्व विकार का मरीज़ होता है। इन्हें झूठे इल्ज़ामात लगाने में मज़ा आता है। ऐसा करना उन के लिए स्वाभाविक है। यह उन के स्वभाव का हिस्सा है। दोनों व्यक्तित्व विकारों से साथ साथ ग्रस्त मरीज़ को पहचानने का आम लक्षण यह है कि ऐसे व्यक्ति ने दो या तीन बार अपना पेशा या नौकरी बदली होती है, जबकि शुद्ध सीमारेखावर्ती व्यक्तित्व विकार के मरीज़ ने लम्बे अरसे तक बेरोज़गारी को सहा होता है। आत्मकामी व्यक्तित्व विकार के मरीज़ का आम लक्षण यह है की वह अपने प्रेमी द्वारा रिश्ते के ख़ात्मे के इशारे का इंतज़ार कभी नहीं करता है, बस चुप चाप दूसरा प्रेम सम्बन्ध शुरू कर देता है। ऐसा भी आम है कि ऐसा व्यक्ति ''प्रेम'' किसी और से करे और विवाह किसी और से। विवाहेतर सम्बन्ध में ऐसे लोग प्रायः पाए जाते हैं। ऐसा इतना ज़्यादा पाया जाता है कि यह एक सैद्धांतिक सत्य है। आत्मकामी व्यक्तित्व विकार मरीज़ आम तौर से ऐसा कहता है कि रिश्ते में उसे घुटन हो रही है और वह स्वतंत्रता चाहता है। स्टॉकिंग के झूठे आरोप लगाना भी ऐसे व्यक्ति के लिए आम बात है।

आत्मकामी व्यक्तित्व विकार के बारे में एक और तथ्य यह है कि यह असामाजिक व्यक्तित्व विकार के साथ अत्यधिक रूप से समोत्पन्न होता है। असामाजिक व्यक्तित्व विकार वह विकार है जो बदमाशों को ग्रसित करता है, और जिस के शिकार लोग बहुत जल्दी कारावास पहुँच जाते हैं यदि न्यायपालिका अपना काम मुस्तैदी से और फ़टाफ़ट करती है तो। ये दोनों व्यक्तित्व विकार बहुत अधिक समोत्पन्न इसलिए होते हैं क्योंकि दोनों मैं मुख्या लक्षण एक ही होता है, जो है दूसरों की भावनाओं के लिए मन में ज़रा सी भी सहानुभूति का न होना। अतैव यदि कोई व्यक्ति या परिवार आत्मकामी अथवा स्वार्थी होता है, तो आप युक्ति संगत अनुमान लगा सकते हैं कि वह / वे बदमाश हैं।

यहाँ बदमाश की परिभाषा में यह नियत नहीं है उन्होनें कोई ऐसा जुर्म किया है जो भारतीय दंड संहिता की किसी धारा का उल्लंघन करता हो बल्कि यह है कि इन लोगों को अपने सम्बन्धियों की भावनाओं की लेशमात्र भी परवाह नहीं। यदि आप यह प्रतिवादित करना चाहते हैं कि बदमाश की संज्ञा केवल उन ही लोगों को दी जा सकती है जिन्होंने भारतीय दंड संहिता की किसी धारा का उल्लंघन किया हो तो इस सत्य की ओर ध्यान दें कि झूठे इल्ज़ाम लगाना भारतीय दंड संहिता की अनेक धाराओं के अंतर्गत अपराध है और झूठे इल्ज़ाम लगाने के लिए किसी को प्रोत्साहित करना भी भारतीय दंड संहिता की एक धारा के अंतर्गत अपराध है।

असामाजिक व्यक्तित्व विकार या / और आत्मकामी व्यक्तित्व विकार की पहचान के लिए निम्नलिखित प्रश्न पूछें। हर सही उत्तर के लिए एक अंक देवें। क्या उन के पास बन्दूक अथवा बन्दूक का लाइसेंस है? उन के बारे में उन के इज़्ज़तदार और पुराने पड़ोसियों की क्या राय है (जो उन्हें सब से अच्छी तरह जानते हैं उन के द्वारा सामाजिक तिरस्कार)? वे अपने कर्मचारियों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं (शोषण करने की प्रवृत्ति)? क्या उन के इतिहजास में विवाहेतर प्रेम प्रसंग हैं (निर्दयिता)? क्या वे बुद्धिमान लोग हैं जिनके गुस्से का पारा आप के दर्शन मात्र से ऊंचा हो जाता है (आसानी से क्रोधित हो जाना)? क्या उन के पुराने मुलाज़िम अथवा कर्मचारी पिछले सवाल का उत्तर ''हाँ'' दे रहे हैं? क्या उन के मुलाज़िमों अथवा कर्मचारियों में से कोई पुराना है ही नहीं? अपनी बेटी के पिछले पति के साथ उन्होनें कैसा व्यवहार किया था (लोगों को इस्तेमाल करना)? क्या वे आयकर और / अथवा संपत्ति कर का भुगतान नियमित तौर से करते हैं? क्या उन के पास आय के स्त्रोतों से अधिक संपत्ति है (ऐसा विश्वास के वे कुछ भी कर सकते हैं और उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा)? क्या उन्होंने अपने आपराधिक आक्षेप में ऊटपटांग आरोप लगाए हैं जो उन्ही पर उल्टे पद सकते हैं (लापरवाही और मूर्खता)?

क्या उन्होंने सोचे समझे तरीके से आप को ४९८अ के जाल में फंसाने की कोशिश की है (आपराधिक बुद्धि)? क्या वे किसी रहस्यमय पंथ या विशिष्ट सभा के सदस्य हैं, जिस के सदस्य अन्य लोगों को अपने से छोटा समझते हों (सामूहिक आत्मकामिता)? उन के करीबी सम्बन्धियों की उन के बारे में क्या राय है (सामजिक रूप से तिरस्कृत लोग)? क्या उन्होनें अपने सभी करीबी सम्बन्धियों को शादी में बुलाया था? क्या उन्हें किसी ख़ास संख्या वाले घर या गाड़ियां या टेलीफोन खरीदने का शौक़ है, जिन के मालिक होने से वे अपने आप को दूसरों से ऊंचा समझते हों (ऊंची हैसियत का झूठा एहसास)? क्या वे अपने मुलाज़िमों को बहुत कम पैसे देते हैं लेकिन उपभोक्ता वस्तुओं अथवा महंगी गाड़ियों अथवा पहली श्रेणी की यात्राओं पर लाखों करोड़ों रुपये खर्च करते हैं (मूर्खता और साथ साथ शोषण करने की प्रवृत्ति और स्वार्थी प्रवृत्ति)? क्या वे रोड रेज (सड़क पर गुस्सा) के कारण दूसरी गाड़ियों के चालकों अथवा पैदल यात्रियों से झगड़ा करते हैं (पात्रता की भावना)? क्या वे पार्किंग सम्बंधित झगडे करते हैं? क्या भूतकाल में उन्होंने जगह अथवा ज़मीन घेरने के लिए दूसरों से झगडे किये हैं (अत्यधिक क्षेत्रीयता)? क्या वे अपनी जान पहचान के बारे में डींगें हांकते हैं (घमंड और पात्रता की भावना)? क्या वे अपने आप को चमचों से घिरा रखते हैं (अपनी झूठी बड़ाई सुनने का शौक़)? क्या किसी ने उन के बारे में आप को कहा है कि ''ये किसी के सगे नहीं हैं'' (सामाजिक रीतियों की अवमानना)'? क्या वे अमीर हैं और बहुत ज़्यादा पैसा ''कमा'' रहे हैं? आजकल देश में हालात ऐसे हैं की आम तौर से अमीर बनने के लिए आपराधिक बुद्धि का होना अनिवार्य है।

इस बात की ९० प्रतिशत से भी अधिक संभावना है कि जो व्यक्ति एक व्यक्तित्व विकार का मरीज़ है वह दो या तीन या चार व्यक्तित्व विकारों का मरीज़ है। व्यक्तित्व विकारों का आम तौर से कोई इलाज नहीं है। इसी लिए भारत में ऐसे लोगों से तलाक़ लेना बहुत आसान है, क्यूंकि उन की मनोवैज्ञानिक परिस्थिति के कारण उन के साथ रहना असंभव है।

आत्मकामी व्यक्तित्व विकार का आम मरीज़ कौन है? यह वो व्यक्ति है जिस का अहम् अहंकार से ग्रस्त है। वह सोचता है कि वह विशेष बर्ताव का पात्र है। ऐसा विचार वास्तविक जीवन या काल्पनिक दुनिया में बीते दिनों में उस के द्वारा भोगे गए विशेष बरताव के कारण उत्पन्न होता है। उसे विशेष व्यवहार से उस की शारीरिक सुंदरता अथवा अपने या माता पिता के ओहदे अथवा अधिक पैसे अथवा जीवन में कभी असफलता से दो चार नहीं होने अथवा दूसरे लिंग के मूर्खों द्वारा दिए गए विशेष सलूक के कारण नवाज़ा गया होता है। उस को कभी न पढ़ने लिखने के अथवा बुरे प्रदर्शन अथवा नक़ल करने के बुरे परिणामों को नहीं झेलना पड़ा होता है। उसे ऐसे दुष्परिणामों से बचने का सुखद अनुभव शायद विशेष बरताव मिलने के कारण मिला होता है। यहाँ यह कहना उचित होगा कि पत्नियों को महिला प्रकोष्ठ में विशेष बरताव से नवाज़ा जाता है।

आत्मकामी और असामाजिक व्यक्तित्व विकारों के बारे में ख़ास बात यह है कि इन के मरीज़ कभी भी अपने आप स्वैच्छिक रूप से डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं। इन बीमारियों का भावीफल भी बहुत मुश्किल होता है, अर्थात इन का इलाज हो पाना बहुत कठिन होता है, और दंड के अतिरिक्त कोई तरीका इलाज के लिए उपयुक्त नहीं होता है। श्री कृष्ण ने भी गीता में दंड को इलाज का उत्तम तरीका बताया है।

यदि आप सीमारेखावर्ती व्यक्तित्व विकार से ग्रस्त हैं तो ऐसा बहुत मुमकिन है की आप आत्मकामी व्यक्तित्व विकार के मरीज़ों को चुम्बक की तरह अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यदि आप भावुक हैं तो आप को स्वार्थी लोग बड़ी मात्रा में मिलेंगे, क्यूंकि आप बहुत आम किस्म के लोगों को भी ख़ास लोगों जैसा बरताव देंगे, जिस से उन का अहम् अहंकार का शिकार बन जायेगा।

एक और किस्म की पत्नी वह है जो महिला प्रकोष्ठ में शिकायत छुपे हुए कारणों से करती है। उस का महिला प्रकोष्ठ में आने का कारण प्रायः अपने पति से तलाक़ लेना होता है, जो कि उसका पति उसे आसानी से नहीं दे रहा होता है। जब पति को आपराधिक मामले के आसार दीखते हैं तो वह डर के मारे आसानी से तलाक़ दे देता है। पत्नियों के लिए तलाक़ पाने का यह आसान रास्ता होता है, नागरिक मामला दर्ज़ किये बगैर। यह उस प्रकार की महिला नहीं है जिस के लिए ४९८अ धारा का क़ानून बनाया गया था, और ऐसी महिला ध्यान से देखने पर प्रायः आपराधिक मामले की पात्र होती है।

उपरोक्त प्रकार की महिला से मिलती जुलती एक और प्रकार की महिला होती है जो तलाक़ लेने के लिए नागरिक मामला दायर करने को तैयार होती है किन्तु जिस के पास वकील करने के लिए पैसा नहीं होता और जिसे लीगल एड वकीलों के बारे में मालूम नहीं होता है। मित्रों और सम्बन्धियों द्वारा गलत राय मिलने के कारण और महिला प्रकोष्ठ द्वारा मामले की अधूरी परख के कारण वह इस रास्ते को अख़्तियार करती है। ईश्वर उसे कामयाबी दे।

एक और किस्म की पत्नी वो होती है जिस पर क्रूरता की गयी होती है लेकिन दहेज़ सम्बंधित क्रूरता नहीं करी गयी होती है।


यदि आप को लेखक द्वारा लिखित एक और लेख पढ़ने की इच्छा है तो आपराधिक प्रक्रिया संहिता धारा १२५ अंतर्गत अभ्यस्त व्यभिचारिणी पत्नी को खर्चा नामंज़ूरी के बारे में एक लेख पढ़िए।



द्वारा लिखित
मनीष उदार द्वारा प्रकाशित।

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अंतिम अद्यतन १३ फ़रवरी २०१८ को किया गया
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