अनिश्चितकालीन / "स्थायी" | अस्थायी / अंतरिम |
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१) अग्रिम ज़मानत / पेशगी ज़मानत | १) गिरफ्तारी पूर्व अंतरिम ज़मानत |
२) नियमित ज़मानत | २) पारगमन ज़मानत |
३) गिरफ्तारी पर अनिश्चितकालीन रोक | ३) गिरफ्तारी पर अस्थायी रोक |
४) सूचना ज़मानत / गिरफ्तारी पूर्व अनिवार्य सूचना | |
५) बीमारी के चलते अंतरिम ज़मानत | |
६) पारिवारिक कारणों के चलते अंतरिम ज़मानत | |
७) विधान सभा सत्र के चलते अंतरिम ज़मानत, इत्यादि, घृणापर्यंत इतिश्री।। |
एक ही अदालत में दूसरी बार अग्रिम ज़मानत आवेदन डालना आम तौर से प्रतिबंधित होता है, लेकिन इस का अपवाद ऐसी स्थिति है जहां मामले की मूलभूत परिवेश में पिछले आवेदम के बाद कोई बुनियादी परिवर्तन हो गया होता है [1] [2]। गिरफ़्तारी के बाद के ज़मानत आवेदनों की बात अलग है, और कभी कभी उन की संख्या काबू से बाहर हो जाती है।इस में हमेशा आरोपी व्यक्ति ज़िम्मेदार नहीं होता, जैसा कि तीस्ता सेतलवाड़ के प्रकरण में देखा गया था। उन की विशेष याचिका को सर्वोच्च न्यायालय की तीन पीठों ने सुनवाई दी थी, जबकि मामला शायद एक पीठ में निपट जाना चाहिए था। न्यायाधीशों ने इस की वजह को शायद गोल-मोल भाषा में समझाया था [3]।
(पड़ोसी देशों में अग्रिम ज़मानत के प्रावधान — पाकिस्तान और बांगलादेश में क्रमशः पाकिस्तानी आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा ४९८ [4] और बांगलादेशी आपराधिक प्रक्रिया की धारा ४९८ [5], ये वे धाराएं हैं जो अग्रिम ज़मानत का नियमन करतीं हैं।).
अगला लेख (४९८अ मामलों में अग्रिम ज़मानत के महत्व के बारे में)। / In English (about the importance of anticipatory bail in 498a)